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SSSHIV - "EK PYAR EK DARD" छोड़ दिया उसने मुझको,

SSSHIV - "EK PYAR EK DARD"

 छोड़ दिया उसने मुझको, छोड़ दिया भीगोकर, एक कागज़ की तरह, ना कलम से उतरने के काबिल छोड़ा और ना खुद को लिखने के, ना जलने के काबिल छोड़ा और ना एक धुएँ की तरह हवा में उड़ने के, ना जीने के काबिल छोड़ा और ना मिट्टी और खाक में मिलने के, ना इस सफ़र में मुकम्मल होने दिया और ना रेत सी बिखरी पड़ी इस जिन्दगी में कुछ रंग भरने दिया, मगर क्या खूब इन्तकाम लिया है मिलकर, इश्क़ का हिसाब भी किया, तो भी कागज़ पर, और हमें बस एक जिन्दा लाश का लिबास दे दिया, उस खुदा ने, वो भी उन अपनों और गैरों के हिसाब से, मगर हमें अब ना ये अंदाज़ समझ आता है और ना ये अल्फाज़, ना करिश्मा समझ आता है और ना ही ये हकीकत, ना रास्ते अपने नज़र आते हैं, और ना ही ये दौर, ना ही कोई इन्तजार समझ आता है और ना ही कोई तड़प, मगर एक एहसास तो आज भी है मुझे फिलहाल, की मेरे क़िरदार की ज़रूरत नहीं इस जमाने में, पर ना जाने क्यूँ लगता है कई बार की, ये मोहब्बत, दर्द, सज़ा, जुदाई, आँसु, तड़प, दूरी, इस प्रेम रूपी जाल ने तो खुदा के नसीब की लकीरों को भी विलग कर दिया था, उसको भी रूला रूला कर अधूरा कर दिया था, तो साहब, हम तो फिर भी इन्सान हैं, जब उस खुदा की जिन्दगी में कमी रह गई, तो इन हवा के झोकों से हमारे कारवाँ का यूँ उजड़ना तो यकीनन पर्याप्त नहीं था, मगर मेरे लिए तेरा और इस प्रेम का हिफाज़त में होना ही पर्याप्त है, नही तो वक्त आने पर तो रूह भी रुख मोड़ लेती है, तेरा नाजायज़ होना तो मुनासिब है।

©SHIVAM SEN
  SSSHIV - "EK PYAR EK DARD"
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SHIVAM SEN

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SSSHIV - "EK PYAR EK DARD" #Shayari

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