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पर पटाखों का नहीं, कुछ लोग नहीं है राज़ी, जब होती

पर पटाखों का नहीं,

कुछ लोग नहीं है राज़ी,
जब होती है आतशबाजी;

त्यौहार के दिन ही क्यों याद आती है गरीबी?
प्रदूषण, इन दिनों ही होती है प्रकृति से करीबी?

अब उनको  उत्सव भी चाहिए गुप्त,
क्या हो जाने दे संस्कृति भी लुप्त? ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो।

लिखें अपने विचार।

#शोर
#पटाख़े
#ध्वनिप्रदूषण 
#collab
पर पटाखों का नहीं,

कुछ लोग नहीं है राज़ी,
जब होती है आतशबाजी;

त्यौहार के दिन ही क्यों याद आती है गरीबी?
प्रदूषण, इन दिनों ही होती है प्रकृति से करीबी?

अब उनको  उत्सव भी चाहिए गुप्त,
क्या हो जाने दे संस्कृति भी लुप्त? ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो।

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#शोर
#पटाख़े
#ध्वनिप्रदूषण 
#collab
krunaljadav7986

KRUNAL JADAV

New Creator

ज़रा सी ऊँची आवाज़ में बात करना तक हमें पसंद नहीं मगर जब बात आती है शोर फैलाने की तो हम सब से आगे रहते हैं। किसी भी प्रकार का प्रदूषण विरोधी आंदोलन भी एक प्रकार का झूठ ही साबित होता है आज के दिन। ऐसे में शुरुआत कहाँ से हो, कैसे हो। लिखें अपने विचार। #शोर #पटाख़े #ध्वनिप्रदूषण #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine