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मसर्रत के हों या बेदिली के, जज़्बात खरे रंग हैं,

मसर्रत के हों या बेदिली के, जज़्बात खरे रंग हैं, 
बाक़माल तसव्वुर ख़ुदा का, फ़क़ीरी वाले ढंग हैं!

©Shubhro K
  #28Jun2022 #good_night  R K Mishra " सूर्य " Darshan Raj