ना जाने मित्र और शत्रु, ना जाने विशिष्ट मेहमान, ना जाने ये अपना पराया, ये हैं अबोध नादान। सभी लगते इनको प्यारे, ये सबको बाँह पसारे, हृदय को करे आकर्षित, इनकी निश्छल मुस्कान। 🌝प्रतियोगिता-33 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"निश्छल मुस्कान "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I