"नकाब" चहरा है मेरा ये असली, इस पर कोई नकाब नहीं , ठंडी हवा का झोंका है इश्क मेरा , ये कोई आग नहीं! हकीकत में चाहा है तुम्हें, ये कोई ख्वाब नहीं ! वहम की कस्ती मे सवार हो तुम, ये हकीकत का जहाज़ नहीं ! तूमने ठुकराकर प्यार मेरा , आज़माया है मुझे, ये इल्म मुझे पहले से था, मगर तुम्हें इसका एहसास नही ! मेरा खत में लिखा तुम्हें एक-एक हर्फ सच था , तस्वीर तुम्हारी है दिल मे, चीर के देख लो अगर विश्वास नहीं ! मैं समुंदर हूँ सूखा और तुम प्यार की बहती नदी हो , मत मिलना कभी मुझसे आकर , अगर लगता है तुम्हें मुझे प्यास नहीं! जो दिल मे था मेरे वो सब सच बता दिया है तुम्हें, वरना तुम जानते हो शक का दुनिया में कोई इलाज नहीं ! तुम्हारे सवालों का अब पास मेरे कोई जवाब नहीं , चहरा है मेरा ये असली, इस पर कोई नकाब नहीं ! #Panchi #नक़ाब (कविता) ☺️✍️ #Author_Shami #Satish_Girotiya