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White जो जज़्बात बरसों से दबे हुए थे पन्नों में क्य

White जो जज़्बात बरसों से दबे हुए थे पन्नों में
क्यों तुमने आकर उनको बाहर निकाला !

मृत पड़ा था एक अधूरा जीवन किताबों में
क्यों जीने की उम्मीद दिलाकर लफ्जों में उतारा !

शब्द भी सांस लेते हैं जीवन उनमें भी होता है
तर्पण करके जज्बातों का क्यों नहीं हमको तारा !

थके हुए हैं जज़्बात मेरे उनको तुम सोने दो
मेरे जज्बातों की रूह को अब क्यों तुमने पुकारा !!

©Anjali Nigam #पन्नों_के_देह_पर .....
White जो जज़्बात बरसों से दबे हुए थे पन्नों में
क्यों तुमने आकर उनको बाहर निकाला !

मृत पड़ा था एक अधूरा जीवन किताबों में
क्यों जीने की उम्मीद दिलाकर लफ्जों में उतारा !

शब्द भी सांस लेते हैं जीवन उनमें भी होता है
तर्पण करके जज्बातों का क्यों नहीं हमको तारा !

थके हुए हैं जज़्बात मेरे उनको तुम सोने दो
मेरे जज्बातों की रूह को अब क्यों तुमने पुकारा !!

©Anjali Nigam #पन्नों_के_देह_पर .....
anjalinigam4281

Anjali Nigam

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