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नींद नींद सभी को प्यारी लगती, राजा रंक फकीर! पर

नींद

नींद सभी को प्यारी लगती, 
राजा रंक फकीर! 
पर उसको होती नसीब, 
जिसकी अच्छी तकदीर! 

एक दिवस में छः घंटे तक, 
सोना बहुत जरूरी! 
मगर नहीं सो पाते कुछ हैं, 
जिनकी कुछ मजबूरी। 

जो लेते भरपूर नींद वो, 
वो रहते हरदम चंगा! 
कभी कोई बीमारी उनसे, 
लेती कभी न पंगा! 

लेकिन बहुत अधिक जो सोते, 
कुंभकरण कहलाते! 
घरवालों की डांट रोज वो, 
सुबह सुबह हैं खाते! 

बेखुद नींद चाहते अच्छी, 
मन से रहें प्रसन्न! 
रहें सदाचारी व हरहम, 
खाएं सात्विक अन्न!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नींद
नींद

नींद सभी को प्यारी लगती, 
राजा रंक फकीर! 
पर उसको होती नसीब, 
जिसकी अच्छी तकदीर! 

एक दिवस में छः घंटे तक, 
सोना बहुत जरूरी! 
मगर नहीं सो पाते कुछ हैं, 
जिनकी कुछ मजबूरी। 

जो लेते भरपूर नींद वो, 
वो रहते हरदम चंगा! 
कभी कोई बीमारी उनसे, 
लेती कभी न पंगा! 

लेकिन बहुत अधिक जो सोते, 
कुंभकरण कहलाते! 
घरवालों की डांट रोज वो, 
सुबह सुबह हैं खाते! 

बेखुद नींद चाहते अच्छी, 
मन से रहें प्रसन्न! 
रहें सदाचारी व हरहम, 
खाएं सात्विक अन्न!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #नींद