दिखता नही हैं वैसा, होता है मनुज जैसा। फिर मन में रोष कैसा? सब कुछ मिले न वैसा, चाहा गया हो जैसा। फिर मन में रोष कैसा? सब कुछ हुआ न वैसा, कहते हैं लोग जैसा। फिर मन में रोष कैसा? कर्तव्य किया जैसा, परिणाम मिला वैसा। फिर मन में रोष कैसा? ............©कौशल तिवारी . . ©Kaushal Kumar #ऐसा वैसा