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तुझको तन्हाइयों में, सजाते रहे, उम्र भर यूँ ही हम

तुझको तन्हाइयों में, सजाते रहे, 
उम्र भर यूँ ही हम, गुनगुनाते रहे,

तेरी ख़ामोशियों से, नहीं था गिला, 
ख़ुद को ही सुनते और, सुनाते रहे,

बीते लम्हे वो और, गुज़रे हुए दिन, 
ख़ुद की साँसों में हम, बसाते रहे,

तुझसे माँगा नहीं था, तुझको कभी, 
फिर भी ख़ुद को तुझ पे, लुटाते रहे..

©VINOD DWIVEDI
  #तुझको ही
vinoddwivedi1718

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#तुझको ही

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