" हक़ीक़त हैं ये हम ये बयान करने बैठे हैं , आज अपने सहर का उसके शहर में शाम करने बैठे हैं , उल्फतों के कुछ बन्दीशें हैं बर्ना मिल के आते , आज फिर से अपने मुहब्बत का गुमान लिये बैठे हैं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " हक़ीक़त हैं ये हम ये बयान करने बैठे हैं , आज अपने सहर का उसके शहर में शाम करने बैठे हैं , उल्फतों के कुछ बन्दीशें हैं बर्ना मिल के आते , आज फिर से अपने मुहब्बत का गुमान लिये बैठे हैं . " --- रबिन्द्र राम #हक़ीक़त #बयान