फिर देखो तो ताउम्र दिक्कतें ही दिक्कतें हैं, एक बार जो बचपन का वो 'बंजारापन' गुजर जाए भरी हुई जेबों ने सभी को बड़ी बेचैनी दी है, खाली जेबों में दोनों हाथ डालने का वो 'एक अलग ही मजा' था वह स्कूल के मैदान में दौड़ दौड़ कर खेलना धूल-धूल भर जाना वह छोटी-छोटी बातों पे बहुत-बहुत हंसना वो जरा सी देर होते ही स्कूल गेट बंद हो जाना वो 'निस्वार्थ भाव दोस्तों का साथ' 'एक बड़ी उपलब्धि' नहीं थी तो क्या था कहने को तो वो ज़माना गुज़र गया है पर फिर भी न जाने क्यों 'उस वक्त का हरेक पल' आज भी साथ है, वो एक अलग ही 'अमीरी' थी सब वक्त-वक्त की बात है रचनाकार गायक विपुल दोशी ©Singer vipul doshi #bachpan #School