वो यादों की गुफा रोज़ हमें बुलाती है कभी हंसाती तो कभी रुलाती है कभी कांटो की तरह चुभती है कभी खुद दवा बन पुराने ज़ख्मों पे मलहम लगाती है पीछे नहीं लेके जाती लेकिन आगे का रास्ता ज़रूर दिखाती है यादों की गुफ़ा #गुफ़ा #शायरी #वक्त #अंधकार #रास्ता