लोग इतना भी क्या हो जाते है दुखी आखिर क्यों कर लेते हैं खुद खुशी... एक पल में छोड़ जाते है हमसफर को वर्षों की चाहत और मोहब्बत बेअसर को.. तोड़ देते है खुद के किए वादों को वो सच्ची कस्मों और इरादों को... नहीं सोचते कि मेरे बाद कैसे जियेगा लोगों की नफरत के घूंटो को कैसे पियेगा... नहीं सोचते खुद का दर्द किसे बतायेगा घुट-घुट कर दिन - रात कैसे बितायेगा... तुम्हारी यादें, लोगों के ताने क्या- क्या होगा उसके पास तुमने तो एक पल में छोड़ दिया जो थीं उसकी खास... इतने गमों को क्या वह मासूम समेट पाएगा या जमाने के डर से टूट के बिखर जाएगा... तुम तो चली गईं सारे सपने लेकर आंखों में और उसका क्या जो निर्दोष है सलाखों मे... प्यार इश्क में मत करो झूठी बातें... तुम बिन कैसे जिएगा वो टूटी रातें... #बेपनाह_अधूरा_इश्क़ #तड़पती_धड़कनें