मनहरण घनाक्षरी :- साथी जब संग रहे , जीवन आनंद रहे, श्वासों मे है वही घुला , स्वाद चख लीजिए ।। पूर्ण सभी काज रहे , सुख का ही राज रहे , दुख कभी आए नहीं , दुआ अब कीजिए ।। हाथ में ये हाथ रहे , साथी यूँ ही साथ रहे , माह पावन सावन , उपहार दीजिए ।। सात फेरे सात कौल , प्यारे-प्यारे थे वे बोल , सुनों अब प्रेम रस , आप भी तो पीजिए ।। २७/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- साथी जब संग रहे , जीवन आनंद रहे, श्वासों मे है वही घुला , स्वाद चख लीजिए ।। पूर्ण सभी काज रहे , सुख का ही राज रहे , दुख कभी आए नहीं , दुआ अब कीजिए ।।