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काँटों से कुपित हो? पर फूलों पर तो तुम

काँटों  से  कुपित  हो?  
पर  फूलों  पर  तो  तुम   जान  छिड़कते  हो 
दोनों  सहोदर  हैँ  ये  फूल  और  कांटे 
क्या  तुम  जानते  नही  हो?  
वे  दोनों  एक  ही  डाली   पर  एक  साथ  उगे  हैँ 
फिर  भी  तुम   सिर्फ  फूलों  को  चूमते  हो.  और  
काँटों  से  कुपित  हो...... क्यों  ?  
 कदाचित  तुम्हारी  चेतना.  तुम्हारी  संवेदनशीलता 
को  स्पंदित होने  से   रोके  रखती  हैँऔर 
तुम्हारे   पूर्वाग्रह  .  कांटो   के  प्रति  तुम्हे 
तरल  होने  नहीं  देते............... फूल  और  कांटे.......
काँटों  से  कुपित  हो?  
पर  फूलों  पर  तो  तुम   जान  छिड़कते  हो 
दोनों  सहोदर  हैँ  ये  फूल  और  कांटे 
क्या  तुम  जानते  नही  हो?  
वे  दोनों  एक  ही  डाली   पर  एक  साथ  उगे  हैँ 
फिर  भी  तुम   सिर्फ  फूलों  को  चूमते  हो.  और  
काँटों  से  कुपित  हो...... क्यों  ?  
 कदाचित  तुम्हारी  चेतना.  तुम्हारी  संवेदनशीलता 
को  स्पंदित होने  से   रोके  रखती  हैँऔर 
तुम्हारे   पूर्वाग्रह  .  कांटो   के  प्रति  तुम्हे 
तरल  होने  नहीं  देते............... फूल  और  कांटे.......

फूल और कांटे.......