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हम भी कितने पागल थे जो किसी एक दोस्त को खास और अपन

हम भी कितने पागल थे जो किसी एक दोस्त को खास और अपना बना बैठे...|लेकीन वक्त आया और वो भी बदल गये ना कभी सोचा की हम बात किससे करेंगे या अपनी शिकायतें किससे करेंगे...| हाँ पता है हमें मुश्किले सबकी जिंदगी में आती है पर उसके लिए किसी अपने का साथ छोडा ही कैसे ये हम आजतक पता करनें मे लगे है...| बस एक ही गलती थी शायद हमारी वो कभी साथ नहीं छोडेंगे ऐसा भरोसा था हमारा लेकीन हम तो ये भूल गयें थे की भरोसा तोडके भाग जाने वालें सब हमें ही मिलते है...| शायद गलतफैमी थी हमारी की वो अपने है हमारे लेकीन हमनें कभी सोचा ही नहीं था की जब हम अकेले हो जाएँगे तब वो हमें मनाने के लिए नही आएँगे...| उनको आज भी लगता है शायद की हम उनसे बात ना करें पर किसी से बिना वजह बात बंद करना ये तो सही नहीं...|उनकी खुशियाँ आज भी हमारे लिए उतनी ही मायने रखती है लेकीन अफसोस इतना की कभी हमारी मुस्कुराहट की वजह बनने की कोशिश कभी वो करते हीं नही...|बस एक ही तमन्ना है इस दिल की किसी गैरों के लिए वो हमें भूल ना जाएँ ...|वैसे भी हमारी जिंदगी अकेले ही हम गुजारते है पर शायद किसी भरोसेमंद दोस्त का साथ मिलना हमारें नसीब में नहीं....
                                 - रक्षंदा कुनघाडकर हम भी कितने पागल थे...
हम भी कितने पागल थे जो किसी एक दोस्त को खास और अपना बना बैठे...|लेकीन वक्त आया और वो भी बदल गये ना कभी सोचा की हम बात किससे करेंगे या अपनी शिकायतें किससे करेंगे...| हाँ पता है हमें मुश्किले सबकी जिंदगी में आती है पर उसके लिए किसी अपने का साथ छोडा ही कैसे ये हम आजतक पता करनें मे लगे है...| बस एक ही गलती थी शायद हमारी वो कभी साथ नहीं छोडेंगे ऐसा भरोसा था हमारा लेकीन हम तो ये भूल गयें थे की भरोसा तोडके भाग जाने वालें सब हमें ही मिलते है...| शायद गलतफैमी थी हमारी की वो अपने है हमारे लेकीन हमनें कभी सोचा ही नहीं था की जब हम अकेले हो जाएँगे तब वो हमें मनाने के लिए नही आएँगे...| उनको आज भी लगता है शायद की हम उनसे बात ना करें पर किसी से बिना वजह बात बंद करना ये तो सही नहीं...|उनकी खुशियाँ आज भी हमारे लिए उतनी ही मायने रखती है लेकीन अफसोस इतना की कभी हमारी मुस्कुराहट की वजह बनने की कोशिश कभी वो करते हीं नही...|बस एक ही तमन्ना है इस दिल की किसी गैरों के लिए वो हमें भूल ना जाएँ ...|वैसे भी हमारी जिंदगी अकेले ही हम गुजारते है पर शायद किसी भरोसेमंद दोस्त का साथ मिलना हमारें नसीब में नहीं....
                                 - रक्षंदा कुनघाडकर हम भी कितने पागल थे...