उम्मीदों का कारवाँ ही तो, मेरे सपनों का जहान है, अधूरी ज़िन्दगी मेरी, फिर भी होंठों पर मुस्कान है। चाहत बस इतनी सी, ना रूके ज़िन्दगी का कारवाँ, मौत ही मेरी मंजिल बनेगी, बस यही मेरी पहचान है। विशिष्ट प्रतियोगिता काव्य-ॲंजुरी✍️ विशिष्ट प्रतियोगिता में आपका स्वागत है। नियम :- 1. समय सीमा : 2 घंटे ( 9:00 pm - 11:00 pm ) 09.01.2021