मन आज शिथिल हो रो पड़ा, जैसे कोई अंग शरीर से अलग हुआ हो, दिल बस तेरे न होने से कहीं खो पड़ा, मानो जैसे इस शरीर में कोई मुर्दा गड़ा हुआ हो, कुछ कहने को तो बहुत कुछ कह जाता "हिमांश", मगर जो चुप हुआ तो हुआ है, जैसे हादसा क़ोई दोतरफा हुआ हो॥ द्वन्द्व...