जब तक तुम्हारे साथ मेरी बात होती है। लगता खुदा की मुझपे सौगात होती है। फिर गुजरे ना पल कोई जैसे सुकून से। फिर रात ये जैसे बिरह की रात होती है।। आना तुम्हारा जैसे कोई बहार हो। गिरती है बून्द बनके जैसे फुहार हो। भीगे ये मन मेरा यूँ बरसात होती है। जब तक तुम्हारे साथ मेरी बात होती है। गलतियां मेरी सब यूँ हंस के माफ करना। एक पल में ही तेरा,ऎसा इंसाफ करना।। रहते हो दूर फिर भी,मुलाकात होती है। जब तक तुम्हारे साथ मेरी बात होती है। तेरा पैगाम पढ़ के,आनन्द का मुस्कुराना। मेंहसूस कर खुसी,हर गम को भुल जाना। सबसे हसीन ये तो,खयालात होती है। जब तक तुम्हारे साथ मेरी बात होती है। ©Anand singh बबुआन jab jab #selflove