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कूचो की बात और थी, शरे बाजार तमाशा हुआ। खामो

कूचो  की  बात  और  थी,
शरे बाजार  तमाशा  हुआ।
खामोशियां   भी   अब
 गूंजती   है   कानों  में।
मैं सावन का प्यासा हुआ।
है  गलियों  में   सन्नाटा
 यू   तराशा    हुआ।

©Suneel Nohara
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