हवा भी कहीं गुम है , जमाने की हवाओं में, मैं तो उसको ढूढं रहा, कुछ अनजानी राहों में, जब भी मैं देखूँ उसको तो पाता हूँ , इक तरुवर की ठंडी छाव मैं, क्योंकि कि वो रहती है, अब उसकी मद मस्त निगाहों में । ©SHIVAM TOMAR #निगाह,