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रचना दिनांक 13जनवरी 2025 वार सोमवार, समय सुबह ्््

रचना दिनांक 13जनवरी  2025
वार सोमवार,
समय सुबह ्््पांच बजे
्भावचित्र ्               
              ्निज विचार ्
                  ्शीर्षक ्
          ्आकर देख जय जवान और अच्छे इंसान
               में वो अलख जगाने आया हूं ््
मंन्दिर मंन्दिर मत खोजो,,
ईश वंदना, प्रेयर,नमन, वन्दंनीय है।1।
 वह वंदना यश कीर्ति ,,
आजाद भारत की हकीकत है।2।
मन का दरवाजा तो खोलो,
देख रही थी मन की गीता,,
और रामायण पाठ यही है।3।
मूरत सूरत  तो वही है,  
लेकिन मन ना बदले तो वो,,
  इन्सान नही वो भगवान  है।4।
कर्म की गीता हाथ में लेकर,,
श्रम के गीत गाता हैं।5।
इन्सान के पसीने की बून्दो में,,
 वो भीग गया वो छुप गया।6।
अपनो की नजरों से वो ओझल हूआ
 अपने स्वर्णिम सपने लेकर ,,
वो कर्म से भाग्य चमकता है।7।
जो रक्त तिलक से अपनी रूह में,,
युद्ध कला में खो  जाता है।8।
जो शत्रुओं के बीच में जाकर भी,
 इन्सानी जस्बा औरशत्रुओं को झटका,, 
दोनों ही युद्ध का हिस्सा है।9।
रणभुमि से अपनी अपनी,,
रणनीति पर चौकन्ना  रहना है।10।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,, 
वीरजवान निकल पड़ा है।11।
देश देश में अपने देश की,,
 देश प्रेम कीअलख जगाने वाला हूं।12।
नौजवान में वीर शौर्यता की,,
 अलख जगाने आया हूं।13।
उन जवानो के मन मन्दिर का,,
मैं दरवाजा खोल गया हूं।14।
आकर देख जय जवान,
 औरअच्छे इन्सानों में,,
 वो अलख जगाने आया हूं।15।
          ्कवि शैलेंद्र आनंद ्

©Shailendra Anand  Extraterrestrial life हिंदी छोटे सुविचार Aaj Ka Panchang
  कवि शैलेंद्र आनंद
रचना दिनांक 13जनवरी  2025
वार सोमवार,
समय सुबह ्््पांच बजे
्भावचित्र ्               
              ्निज विचार ्
                  ्शीर्षक ्
          ्आकर देख जय जवान और अच्छे इंसान
               में वो अलख जगाने आया हूं ््
मंन्दिर मंन्दिर मत खोजो,,
ईश वंदना, प्रेयर,नमन, वन्दंनीय है।1।
 वह वंदना यश कीर्ति ,,
आजाद भारत की हकीकत है।2।
मन का दरवाजा तो खोलो,
देख रही थी मन की गीता,,
और रामायण पाठ यही है।3।
मूरत सूरत  तो वही है,  
लेकिन मन ना बदले तो वो,,
  इन्सान नही वो भगवान  है।4।
कर्म की गीता हाथ में लेकर,,
श्रम के गीत गाता हैं।5।
इन्सान के पसीने की बून्दो में,,
 वो भीग गया वो छुप गया।6।
अपनो की नजरों से वो ओझल हूआ
 अपने स्वर्णिम सपने लेकर ,,
वो कर्म से भाग्य चमकता है।7।
जो रक्त तिलक से अपनी रूह में,,
युद्ध कला में खो  जाता है।8।
जो शत्रुओं के बीच में जाकर भी,
 इन्सानी जस्बा औरशत्रुओं को झटका,, 
दोनों ही युद्ध का हिस्सा है।9।
रणभुमि से अपनी अपनी,,
रणनीति पर चौकन्ना  रहना है।10।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,, 
वीरजवान निकल पड़ा है।11।
देश देश में अपने देश की,,
 देश प्रेम कीअलख जगाने वाला हूं।12।
नौजवान में वीर शौर्यता की,,
 अलख जगाने आया हूं।13।
उन जवानो के मन मन्दिर का,,
मैं दरवाजा खोल गया हूं।14।
आकर देख जय जवान,
 औरअच्छे इन्सानों में,,
 वो अलख जगाने आया हूं।15।
          ्कवि शैलेंद्र आनंद ्

©Shailendra Anand  Extraterrestrial life हिंदी छोटे सुविचार Aaj Ka Panchang
  कवि शैलेंद्र आनंद