रिमझिम रिमझिम सावन की फुहारे बम बम भोले के लग रहे है जयकारे, चला रे कावड़िया उठा के कही पर माँ गंगा, कही पर माँ नर्मदा किनारे,, बम बम भोले की जगी मन में धुन, भोले के दर जाने के स्वप्न रहे है बुन, चाहे पर्वत रास्ता रोके,चाहे वर्षा रोके जायेंगे फिर भी दर पे ऐसा है जूनून,, एक लोटा जल भोले को कर अर्पण, भोलेनाथ में खुद को देखे बना दर्पण, सज रही कही मनमोहक झाकिया, भोले खुद पहुंच रहे हमारे घर आंगन,, कही पर सागर किनारे "सोमनाथ" देखु, हिमालय की चोटी में "केदारनाथ" देखु, गंगा तट पे काशी "विश्वनाथ" नजर आये, मोक्ष नगरी की भक्तिमय प्रभात देखु,, नर्मदा किनारे बसें "ममलेश्वर" को ध्याऊ, माँ गोदावरी की धारा में "त्र्यंबकेश्वर" पाउ, क्षिप्रा की जल धारा में महाकाल दर्श दे, भस्म से सजा उनमे ही विलीन हो जाऊ,, दक्षिण का कैलाश "मल्लिकार्जुन" लगे, बाबा "वैद्यनाथ" से जीवन के कष्ट भगे, "रामेश्वर" की कर पूजा श्रीराम लंका जीते, पल पल मन मेरा हर हर महादेव भजे,, भीम सी काया ले विराजित "भीमाशंकर", नागो के देव बसे दारूकावन में "नागेश्वर", सारे ज्योतिर्लिंगो के मन मंदिर दर्श पाउ, ऐसी खुशियों के बहार लाये मेरे "घुशमेश्वर",, ✍️नितिन कुवादे.... ©Nitin Kuvade #somvar