जिस गली में हमारी निगाहें मिलीं बेकली मिट गयी जब दुआयें मिलीं प्यार उपहार हासिल हुआ इश्क़ में साथ में ढेर सारी अदायें मिली हम खड़े हैं अभी तक उसी मोड़ पर तुम गये थे जहाँ पर हमें छोड़कर राह अनजान है प्यार नादान है किस जगह खो गये प्रीत को जोड़कर प्रेम पथ प्रीत का याद कर लो प्रिये जिस डगर में जिगर को सदायें मिलीं प्रेम सत्संग है जीव का अंग है मोह का रंग है मोद का संग है इस हृदय में पला हर कमल दल खिला प्रेम के रूप से सृष्टि भी दंग है बौर जब छा गया आम के पेड़ पर कूकती कोकिला को घटायें मिलीं मेघ की वृष्टि में राग मल्हार है गेह की दृष्टि में जाग मनुहार है प्रेम पूरक रही नेह की भूमिका देह की पृष्ठ में त्याग उपकार है छाँव सत्कार है मीत मधु प्रीत में तप्त तन को मलय गिरि हवायें मिलीं ©U P #ज़िंदगी#मोहब्बत#इश्क#प्यार #love