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अगोरी बाबा Aghori Baba हिन्दू धर्म के अघोर समुदाय

अगोरी बाबा Aghori Baba हिन्दू धर्म के अघोर समुदाय से संबंध रखते है जो शिवजी के पूजा करते हैं। ये समुदाय बहुत ही कम मात्रा में है लेकिन जो है वो अपनी अनोखे व्यवहार, एकान्तप्रियता व् रहस्मय कार्यों के कारण बहुत प्रचलित है अगोरी लोगो Aghori Baba को इंसानों से दूर श्मशान घाटों, जंगलो या निर्जन स्थानों पर रहना ज्यादा पसंद होता है। क्यूंकि जहा लोगो की जिंदगी खत्म हो जाती है वही से इन काली दुनिया के बादशाह अघोरी लोगो का जीवन शुरू होता है । ये लोग शव साधना को ही अपना मूल कर्तव्य मानते है अघोर संप्रदाय के साधक नर मुंडों की माला पहनते हैं और नर मुंडों को पात्र के तौर पर प्रयोग भी करते हैं । चिता के भस्म का शरीर पर लेपन और चिताग्नि पर भोजन पकाना इत्यादि सामान्य कार्य हैं। इनका असली रहस्य तो आज तक कोई नहीं जान पाया है। ये लोग मुर्दों में भगवान् पूजते है।

ये लोग मदिरापान व् मृतुक के मांस के शौक़ीन होते है जिसे ये खोपड़ी की बने प्याले में खाते और पीता है। क्यूंकि अघोरी लोग इस तरह खोपड़ी में खान पीना अघोरी कर्म में आता है तथा ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है । ये लोग इस खाने से श्री नहीं करते है। से लोग प्रद्धि दिन कृच्चा 'पाना ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है। ये लोग कच्चा मांस खाने से भी पअर्हेज़ नहीं करते है । ये लोग प्रतिदिन जलती चिताओं से मृतक के अधजले हिस्सों को खाने का काम करते है ।

वाराणसी या काशी को भारत के सबसे प्रमुख अघोर स्थान के तौर पर मानते हैं। भगवान शिव की स्वयं की नगरी होने के कारण यहां विभिन्न अघोर साधकों ने तपस्या भी की है। यहां बाबा कीनाराम का स्थल एक महत्वपूर्ण तीर्थ भी है। काशी के अतिरिक्त गुजरात के जूनागढ़ का गिरनार पर्वत भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। जूनागढ़ को अवधूत भगवान दत्तात्रेय के तपस्या स्थल के रूप में जानते हैं।

अगोर समुदाय को करीब से जानने के लिए आज तक ने ऐसी जगहों पे जाकर उनका लाइव फुटेज बनाया जो इनके लिए काफी कठिन कार्य था । अगोरी कहते है की हम आत्माओ से बात कर सकते है | इस तरह संसार में इस तरह के विविध प्रकार के लोग संसार में सिर्फ भारत में ही देखने को मिलता है।

©Raju Raza अघोरी साधुओं की रहस्यमयी दुनिया

#Path
अगोरी बाबा Aghori Baba हिन्दू धर्म के अघोर समुदाय से संबंध रखते है जो शिवजी के पूजा करते हैं। ये समुदाय बहुत ही कम मात्रा में है लेकिन जो है वो अपनी अनोखे व्यवहार, एकान्तप्रियता व् रहस्मय कार्यों के कारण बहुत प्रचलित है अगोरी लोगो Aghori Baba को इंसानों से दूर श्मशान घाटों, जंगलो या निर्जन स्थानों पर रहना ज्यादा पसंद होता है। क्यूंकि जहा लोगो की जिंदगी खत्म हो जाती है वही से इन काली दुनिया के बादशाह अघोरी लोगो का जीवन शुरू होता है । ये लोग शव साधना को ही अपना मूल कर्तव्य मानते है अघोर संप्रदाय के साधक नर मुंडों की माला पहनते हैं और नर मुंडों को पात्र के तौर पर प्रयोग भी करते हैं । चिता के भस्म का शरीर पर लेपन और चिताग्नि पर भोजन पकाना इत्यादि सामान्य कार्य हैं। इनका असली रहस्य तो आज तक कोई नहीं जान पाया है। ये लोग मुर्दों में भगवान् पूजते है।

ये लोग मदिरापान व् मृतुक के मांस के शौक़ीन होते है जिसे ये खोपड़ी की बने प्याले में खाते और पीता है। क्यूंकि अघोरी लोग इस तरह खोपड़ी में खान पीना अघोरी कर्म में आता है तथा ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है । ये लोग इस खाने से श्री नहीं करते है। से लोग प्रद्धि दिन कृच्चा 'पाना ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है। ये लोग कच्चा मांस खाने से भी पअर्हेज़ नहीं करते है । ये लोग प्रतिदिन जलती चिताओं से मृतक के अधजले हिस्सों को खाने का काम करते है ।

वाराणसी या काशी को भारत के सबसे प्रमुख अघोर स्थान के तौर पर मानते हैं। भगवान शिव की स्वयं की नगरी होने के कारण यहां विभिन्न अघोर साधकों ने तपस्या भी की है। यहां बाबा कीनाराम का स्थल एक महत्वपूर्ण तीर्थ भी है। काशी के अतिरिक्त गुजरात के जूनागढ़ का गिरनार पर्वत भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। जूनागढ़ को अवधूत भगवान दत्तात्रेय के तपस्या स्थल के रूप में जानते हैं।

अगोर समुदाय को करीब से जानने के लिए आज तक ने ऐसी जगहों पे जाकर उनका लाइव फुटेज बनाया जो इनके लिए काफी कठिन कार्य था । अगोरी कहते है की हम आत्माओ से बात कर सकते है | इस तरह संसार में इस तरह के विविध प्रकार के लोग संसार में सिर्फ भारत में ही देखने को मिलता है।

©Raju Raza अघोरी साधुओं की रहस्यमयी दुनिया

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Raju Raza

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