हमें ये नहीं भूलना चाहिए क़ि पिछली बार हमने प्यार पाने क़े लिए भी नफ़रत की वज़नी मज़बूत दीवारों को ध्वस्त कर दिया था लेकिन आज फिर दिखने लगी है आसमान छूती नफ़रत की नई दीवारें...... जो शायद धर्म जाति और भाषा की कटटरपंथी ईंटों से निर्मित की गई है यही कारण है क़ि आज प्यार दहाडे मार कर रो रहा है ©Parasram Arora दीवार नफ़रत की.......