तुम्हारा अपने सफर क़े अंतिम पड़ाव पर पहुंचना हो चुका है आगे तो अब भयंकर खाई है अंधेरों का साम्राज्य है अब कोई सूरज आकर तुम्हारी राहों को रोशन करने का वादा करने वाला भी नहीं है आगे तो अब एक सतरंगी मुस्कान बाहें फैलाये तुम्हे अपने आगोश मे आलिंगनबदद करने को लालायित है समर्पण का वक़्त आ चुका है थोड़ा आगे बडो तुम और अपना सर्वस्व उस सच्चीदानंद क़े हवाले कर दो ©Parasram Arora #अंतिम पड़ाव.........