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मैं डरा हुआ था, माहौल शायद मरा हुआ था। देखा जब इध

मैं डरा हुआ था,
माहौल शायद मरा हुआ था।

देखा जब इधर-उधर,
ज़िंदा लाशें पड़ा हुआ था।

सोच रहा था मैं,
खुद के अंग खरोंच रहा था मैं।

भीड़ वध करने पास जब आयी,
बेगुनाहों को रोक रहा था मैं।

पकड़ झुंड हिंसा कर रही थी,
गलती क्या ये न समझ रही थी।

भक्त थे क्या लेकिन राम नाम क्यों घसीटे,
वो नारे थी लेकिन डरा रही थी।

सड़के जाम मतवाली थी,
बस भीडतंत्र और खाली थी।

बंधे हाथ थे प्रशासन के,
आखिर किस शासन की शासक थी।
 #moblynching 
#godimedia 
#fakepeople 
#fakegovernment 
#andhbhakt 
#politicians 
#government 
#pk_poetry
मैं डरा हुआ था,
माहौल शायद मरा हुआ था।

देखा जब इधर-उधर,
ज़िंदा लाशें पड़ा हुआ था।

सोच रहा था मैं,
खुद के अंग खरोंच रहा था मैं।

भीड़ वध करने पास जब आयी,
बेगुनाहों को रोक रहा था मैं।

पकड़ झुंड हिंसा कर रही थी,
गलती क्या ये न समझ रही थी।

भक्त थे क्या लेकिन राम नाम क्यों घसीटे,
वो नारे थी लेकिन डरा रही थी।

सड़के जाम मतवाली थी,
बस भीडतंत्र और खाली थी।

बंधे हाथ थे प्रशासन के,
आखिर किस शासन की शासक थी।
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