कल मै कहलाती थी अबला आज हक्क दिलाती हूँ मुफलीसोंको.... इतना कैसे मुझको उन्नत बना दिया दोज़खसी इस जिंदगीको सावित्री तेरे शिक्षाके अधिकारने जन्नत बना दिया.... ॥१॥ किसीका गुरूर हूँ मे आज किसीकी उम्मीद तो किसीके लिए तुने मानो मुझे मन्नत बना दिया दोज़खसी इस जिंदगीको सावित्री तेरे शिक्षाके अधिकारने जन्नत बना दिया....॥२ ॥ खुदीमे थी मै घुट रही पल पल थी मै टुँट रही मेरे सारे मर्जसे मेरी सारी परेशानीयोंसे इक पलमे तुने नजात दिला दिया.. दोज़खसी इस जिंदगीको सावित्री तेरे शिक्षाके अधिकारने जन्नत बना दिया.... ॥ ३ ॥ तेरे कर्जको ना भुलुंगी इस फर्जको ना छोङुँगी तेरी दिखलाई राह पर चलना मेनेभी मेरे जिंदगीका सच्चा नशात बना लिया दोज़खसी इस जिंदगीको सावित्री तेरे शिक्षाके अधिकारने जन्नत बना दिया.... ॥ ४ ॥ रचना-✒️ विजय ज्ञानदेव पटावकर ( ज्ञानतनय ) *भारत की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले जी के जन्मदिवस पर बधाई एवं मंगलकामनाये* 💐💐💐🙏🙏🙏 ©Vijay Patavkar #सावित्री माता जयंती.....💐💐💐🙏🙏🙏