Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं अक्सर सोचता हूॅं कि पता नहीं वह कौन शख्स था ज

मैं अक्सर सोचता हूॅं कि
 पता नहीं वह कौन शख्स था जिसने चुम्बन को
 कामुकता और हवस बता डाला ?
मुझसे गर पूछा जाए 
तो इस बारे में मेरा मत यह 
है कि चुम्बन कामुकता हों हीं नहीं सकता । 
यह प्रेम की अभिव्यक्ति का पवित्रतम प्रतीक है । 
अगर ऐसा नहीं होता तो
 किसी अबोध शिशु को गोद में लेते हीं
 हमारे मन में उसे चूमने की इच्छा कभी नहीं होती ।
हाॅं, मैंने भी पढ़ रक्खी है 
वह चुम्बन और युद्ध वाली कविता 
जिसमें प्रेमी-प्रेमिका को 
एक दूसरे को चूमने के लिए 
बंद कमरे का सहारा लेने पर 
प्रश्न उठाकर कवि ने 
एक तरह से इसे अपराध 
साबित करने की कोशिश की है ।
 लेकिन मुझे ऐसा लगता है 
कि यदि इरादा सिर्फ प्यार जताना है
 तो किसी को चूमने के लिए 
कभी भी ब़द कमरे की कोई आवश्यकता नहीं।
 क्योंकि यह भी महज़ स्पर्श हीं तो है। 
अंतर बस इतना है कि इस स्पर्श के दौरान
 हाथ की जगह लबें ले लिया करती हैं ।
हाॅं, मैं तुम्हें सबके सामने घंटों चूम सकता हूॅं । 
क्योंकि तुम्हें चूमते हुए मैं हवस नहीं,
 तुम्हारे लिए अपना प्रेम अभिव्यक्त कर रहा होऊॅंगा । 
पवित्र और निश्छल प्रेम

©Ujjwal Kumar Mishra
  #प्रेम #Love #love❤ #loveforever #you #you_and_me #Hum   #अजनबी_सा_इश्क़ #Life #Life_experience