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किसी मनुष्य को अपनी गलतियों का परिताप, झुलसाता रहे

किसी मनुष्य को अपनी गलतियों का परिताप,
झुलसाता रहे और वह करता उनका पश्चाताप।
तब मनुष्य बनकर निकले शुद्ध स्वर्ण के भांति,
मुख और शरीर पर रहती हर क्षण अद्भुत कांति।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #परिताप