विहावा छन्द १२२ १२२ १२ दुआ आज मैं माँगता । कृपा आपकी जानता ।। पुकारूँ तुझे मैं कहाँ । नहीं ढूँढ़ पाऊँ यहाँ ।। खड़ी राधिका थी सजी । जहाँ श्याम वंशी बजी ।। तके राह कान्हा खड़े । सभी देव में जो बड़े ।। सभी लोग रोने लगे । कृपा आज खोने लगे ।। चलो आज खाटू गली । वहाँ भक्त की ही चली ।। ०५/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विहावा छन्द १२२ १२२ १२ दुआ आज मैं माँगता । कृपा आपकी जानता ।। पुकारूँ तुझे मैं कहाँ । नहीं ढूँढ़ पाऊँ यहाँ ।।