बेघर बेचारा एक मकान ढूंढता है, बहरा कान, गूँगा जुबान ढूंढता है, ख़तरे में है प्रगतिशील जीवन, विज्ञान मौत का सामान ढूंढता है। ©Vikash Kamboj #Vigyan