Nojoto: Largest Storytelling Platform

Autumn प्रेम.... कितना अद्भुत शब्द है ना ये प्रेम

Autumn प्रेम....

कितना अद्भुत शब्द है ना ये प्रेम _
जब - जब भी ये शब्द सुना या कहा जाता है,
सब के मन में एक ही छवि बनती है प्रेमी और प्रेमिका की..
क्योंकि शायद इससे आगे हमने प्रेम को जाना ही नहीं 
वो कहते हैं ना जो दिखता है वही बिकता है..
तो शायद मुझे लगता है जो वर्तमान परिस्थितियों वाला प्रेम है 
वो बहुत ही तुच्छ है, जिसमें केवल आवश्यकता की पूर्ति मात्र है 
भावनाओं की संतुष्टि नहीं.. एहसासों का अनंत सागर नहीं 
अन्तर्मन परिशुद्ध नहीं.. मर्यादाओं की कोई सिमा नहीं 

खैर बात अगर प्रेम की है तो श्रीकृष्ण को कोई कहता कि प्रेम पर लिखिए 
तो शायद वो लिखते अपनी बांसुरी पर , सुदामा के चरित्र पर,
श्रीराम लिखते अपनी अयोध्या पर , हनुमान जी लिखते श्री राम पर 
शिवजी लिखते वाराणसी पर , ठुकराई हुई हर वस्तु पर 
एक देशभक्त लिखता भारत की दुर्दशा पर..
प्रेम कितना सिमित लगता है जबकि ये तो असिमित है,
प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण मां जो बच्चों को अपने खुन से सिंचित करती है 
9 महिने तक हर पीड़ा को सहकर सबसे बड़ा सुख पाती है

प्रेम क्षण - क्षण में हैं प्रेम प्रकृति के कण - कण में है,
सही मायने में अगर इस संसार में किसी से निःस्वार्थ भाव से 
प्रेम किया जा सकता है तो वो है सिर्फ प्रकृति,धरा 
क्योंकि सिर्फ यही है जो हर प्रकार से श्रृंगारित कर रही है...

प्रकृति प्रेमी...🌺🌿🌴☘️

©Sanjana  Hada #autumn
Autumn प्रेम....

कितना अद्भुत शब्द है ना ये प्रेम _
जब - जब भी ये शब्द सुना या कहा जाता है,
सब के मन में एक ही छवि बनती है प्रेमी और प्रेमिका की..
क्योंकि शायद इससे आगे हमने प्रेम को जाना ही नहीं 
वो कहते हैं ना जो दिखता है वही बिकता है..
तो शायद मुझे लगता है जो वर्तमान परिस्थितियों वाला प्रेम है 
वो बहुत ही तुच्छ है, जिसमें केवल आवश्यकता की पूर्ति मात्र है 
भावनाओं की संतुष्टि नहीं.. एहसासों का अनंत सागर नहीं 
अन्तर्मन परिशुद्ध नहीं.. मर्यादाओं की कोई सिमा नहीं 

खैर बात अगर प्रेम की है तो श्रीकृष्ण को कोई कहता कि प्रेम पर लिखिए 
तो शायद वो लिखते अपनी बांसुरी पर , सुदामा के चरित्र पर,
श्रीराम लिखते अपनी अयोध्या पर , हनुमान जी लिखते श्री राम पर 
शिवजी लिखते वाराणसी पर , ठुकराई हुई हर वस्तु पर 
एक देशभक्त लिखता भारत की दुर्दशा पर..
प्रेम कितना सिमित लगता है जबकि ये तो असिमित है,
प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण मां जो बच्चों को अपने खुन से सिंचित करती है 
9 महिने तक हर पीड़ा को सहकर सबसे बड़ा सुख पाती है

प्रेम क्षण - क्षण में हैं प्रेम प्रकृति के कण - कण में है,
सही मायने में अगर इस संसार में किसी से निःस्वार्थ भाव से 
प्रेम किया जा सकता है तो वो है सिर्फ प्रकृति,धरा 
क्योंकि सिर्फ यही है जो हर प्रकार से श्रृंगारित कर रही है...

प्रकृति प्रेमी...🌺🌿🌴☘️

©Sanjana  Hada #autumn
sanjanahada7198

Sanjana Hada

New Creator