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कलयुग में आजकल सच भी बिकता है बिक कर यह झूठ में ढल

कलयुग में आजकल सच भी बिकता है
बिक कर यह झूठ में ढलता है।
               होता नीलाम अपराधियों के बाजार में 
               मजबूरी करती मोल भाव तुलता ईमान के साथ में।
               बस तय करना है कौन कहाँ बिकता है ।
नेता,अफसर,पिस्टल धुमाते इंस्पेक्टर हैं इसके सौदागर;
मजबूर,लाचार,बेबस व्यक्ति हैं इसके ग्राहक
 बस तय करना है सौदा कहाँ पटता है ।
                           छुटपुट दलाल,नेता माफिया कहलाते हैं 
                          सबको मारते हैं ,डराते हैं और धमकाते है 
                         बस देखना है कौन किससे डरता है।
औहदा शोहरत संपत्ति आकर्षित सबको करती
इसका फायदा उठाती कुछ हस्ती 
बस तय करना है कौन कहाँ गिरता है।
                          कुछ लोग धर्म सच्चाई की राह अपनाते हैं
                          और झूठ से डटकर लड़ जाते हैं 
                          कुछ हो जाते शहीद कुछ क्रांति लाते हैं।
                          बस इन्हीं महान आत्माओं से युग बदलता है।
कलयुग में ..........................ढलता है।
         पारुल शर्मा #NojotoQuote कलयुग में आजकल सच भी बिकता है
बिक कर यह झूठ में ढलता है।
               होता नीलाम अपराधियों के बाजार में 
               मजबूरी करती मोल भाव तुलता ईमान के साथ में।
               बस तय करना है कौन कहाँ बिकता है ।
नेता,अफसर,पिस्टल धुमाते इंस्पेक्टर हैं इसके सौदागर;
मजबूर,लाचार,बेबस व्यक्ति हैं इसके ग्राहक
 बस तय करना है सौदा कहाँ पटता है ।
कलयुग में आजकल सच भी बिकता है
बिक कर यह झूठ में ढलता है।
               होता नीलाम अपराधियों के बाजार में 
               मजबूरी करती मोल भाव तुलता ईमान के साथ में।
               बस तय करना है कौन कहाँ बिकता है ।
नेता,अफसर,पिस्टल धुमाते इंस्पेक्टर हैं इसके सौदागर;
मजबूर,लाचार,बेबस व्यक्ति हैं इसके ग्राहक
 बस तय करना है सौदा कहाँ पटता है ।
                           छुटपुट दलाल,नेता माफिया कहलाते हैं 
                          सबको मारते हैं ,डराते हैं और धमकाते है 
                         बस देखना है कौन किससे डरता है।
औहदा शोहरत संपत्ति आकर्षित सबको करती
इसका फायदा उठाती कुछ हस्ती 
बस तय करना है कौन कहाँ गिरता है।
                          कुछ लोग धर्म सच्चाई की राह अपनाते हैं
                          और झूठ से डटकर लड़ जाते हैं 
                          कुछ हो जाते शहीद कुछ क्रांति लाते हैं।
                          बस इन्हीं महान आत्माओं से युग बदलता है।
कलयुग में ..........................ढलता है।
         पारुल शर्मा #NojotoQuote कलयुग में आजकल सच भी बिकता है
बिक कर यह झूठ में ढलता है।
               होता नीलाम अपराधियों के बाजार में 
               मजबूरी करती मोल भाव तुलता ईमान के साथ में।
               बस तय करना है कौन कहाँ बिकता है ।
नेता,अफसर,पिस्टल धुमाते इंस्पेक्टर हैं इसके सौदागर;
मजबूर,लाचार,बेबस व्यक्ति हैं इसके ग्राहक
 बस तय करना है सौदा कहाँ पटता है ।
parulsharma3727

Parul Sharma

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