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पहले फूल से करते प्रफुल्लित, मोहिनी बातें करती स


पहले फूल से करते प्रफुल्लित, 
मोहिनी बातें करती सम्मोहित,
प्रेम का जाल बुना जाता है,
फिर होती अज्ञानता शोषित ।। 
कोमल भावनाएं होती है आहत,
प्रताङित की जाती फिर चाहत, 
उल्लू सीधा कर, हुई विरक्ति,
ढूँढती फिरती पीङिता राहत ।।
फिर चलती है मारा-मारी,
जीवन की बढ़ती दुश्वारी,
विरोध उठाता न्याय पर अँगुली 
जस की तस रहती है नारी।।
महिला मण्डल का कङा विरोध
सङकों पर आगजनी /अवरोध 
जमकर होता कैण्डिल मार्च,
कानूनों पर होते शोध।।
समय बीतता,घटना खो गई ,
फिर से नई दुर्घटना हो गई , 
शायद ही कोई देगा गौर,
समझौतावादी आदत हो गई ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  #tereliye 
संभल जा जरा

#tereliye संभल जा जरा #कविता

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