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तेरे दिए हर ग़म को , चुपचाप पिये जा रहे है

 तेरे  दिए  हर   ग़म   को , चुपचाप  पिये  जा रहे हैं,
ज़िन्दगी तू मुक़म्मल नही , फ़िर भी जिये जा रहे हैं,

समस्याएं तो बहुत मिलती हैं ,पर हल नही मिलता,
जानते  हैं कि  सबको जहां ,मुक़म्मल नही मिलता,

दौड़ते जा रहे हैं बस  , एक  अधूरी  सी प्यास लिए,
कभी तो ख़्वाब हक़ीक़त होगा, मन मे विश्वास लिए,

इस राह-ए-सफ़ऱ मे ज़िन्दगी, एक दिन तो मुक़म्मल होगी ,
ख़त्म होगा जब ये  सफ़ऱ , हाँ  बस   वही  मन्जिल होगी,

ये   जज़्बा-ए-जश्न   उसी   दिन   के  लिए बचा रखा है,
जिस ज़िन्दगी की दौड़ में हमने, नींद-ओ-चैन गवाँ रखा है,

ठहर जायेंगें उसी दिन , जब ख़त्म ये ज़ीस्त-ए-कारवाँ होगा,
वही बस  ज़िन्दगी   होगी ,  वही  मुक़म्मल  जहां   होगा।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #ज़िन्दगीतूमुकम्मलनही  Mili Saha shashi kala mahto Reema Mittal  Poonam Suyal hardik Mahajan  Badal Singh Kalamgar Mahi शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) अदनासा- Anshu writer  Saloni Khanna Raj Guru "ARSH"ارشد Vijay Besharm Sita Prasad  Anil Ray Suresh Gulia Navash2411 Puja Udeshi Kamlesh Kandpal  Rakesh Srivastava Rajesh Arora Niaz SURAJ PAL SINGH gyanendra pandey  R K Mishra " सूर्य " SAUD ALAM भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Sunita Pathania Sethi Ji  Bhavana kmishra भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Deepiitd रविन्द्र 'गुल' ek shayar sana naaz  कवि संतोष बड़कुर Ambika Mallik Balwinder Pal हिमांशु Kulshreshtha Shilpi Singh