अपने बच्चों से सब लगा रखते हैं क्या क्या उम्मीद खुशनसीब है जो अपने पेड़ का फल खा सके पूरी करते रहते हैं बीबी की हर फरमाइशें पर बूढ़ी मां का एक चस्मा नहीं बनबा सके वहीं मां कहती है अगर टूटा हुआ चस्मा मेरा बनवा दिया होता तो में अच्छा सगुन अच्छा महुरत देख सकती थी । मुझे ख्वाहिश कहां दुनियां को देखूं ए मेरे बेटे मगर चस्मा लगाकर तेरी सूरत देख सकती थी। माँ