मनोव्यथा...⊙ एक ऐसा क्षण भी नहीं होता,जब मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचता... सोचने के अलावा,तुमने मुझे और किसी काम का नहीं छोड़ा... पर सोच के साथ ये तुम्हारी_यादें... मन के पहाड़ को और भारी कर देती... अचानक से बैठे हुए तुम्हारी यादें... जैसे पानी का एक सैलाब लेकर आईं हो... लवण-जल के इस सैलाब में,एक दिन मेरी स्थिरता का... ये बाँद चकनाचूर हो जायेगा,उस दिन तुम्हें ये सब देखकर... कदाचित पछतावा होगा,लेकिन उस सैलाब में बहे गये... उस व्यक्ति का शेष कुछ भी न बचेगा,बचेगा तो केवल उसकी पीड़ाओं में,लथपथ_उसका_मन ॥ वियोग की इसी गतिविधि का,आत्मसात् होना... विश्व एक महान,काव्य को जन्म देगा... काव्य जिसमें मन के साथ,पीड़ाओं की गाथा होगी... और प्रेम का एक अनोखा संसार,जिसमें इँटों का मात्र ढाँचा ही नहीं... अपितु मन की वेदनाओं का,एक स्तब्ध कर देने वाला... पीड़ित_ढाँचा_होगा... जिसे आनेवाली पीढ़ियाँ प्रेम का महल कहेंगी ॥ # ©purvarth पीड़ित_ढाँचा_होगा... जिसे आनेवाली पीढ़ियाँ प्रेम का महल कहेंगी #मनोव्यथा🥺✍️🧔🏻