सांसे तलवार मेरी, वक्ष मेरा ढाल है। एक भुजा काल मेरा, दूजा महाकाल हैं। गिरते रहेंगे शव, जब तक प्राण है। कर दूंगा रणभूमि, रक्त से लाल मैं। आंखो में आग मेरे रक्त में उबाल है। शीष फेंकू अंबर या गाड़ दूं पताल में। कांपता है लोक तीनों, जिसके नाम से। कर रहा तिलक वो, यम मेरे भाल में। आरंभ हूं प्रचंड, हूं मृत्यु अकाल मैं। धर शिवशंकर सा, रूप विकराल मैं। लड़ जाऊं काल से, अर्जुन का बाण मैं। न हारुंगा बल से, मैं योद्धा गर्भकाल से। ©RKant #अभिमन्यु_की_हुंकार #Dard_Bewajah