ज़िन्दगी के इम्तिहानों से बहुत डर गया हूं मैं सुकून जब भी चाहा अपने घर गया हूं मैं कहते हैं साथी मिल जाते हैं राह-ए-मंज़िल में अक्सर मुझे तो कोई ना मिला उस राह जिधर गया हूं मैं सुकून से हूं बहुत तेरे जाने के बाद भी तुम्हें क्या लगा था बिखर गया हूं मैं मेरी खूबियों पर चर्चा करते सुना है मैंने लोगों को कुछ किया है मैंने या फिर मर गया हूं मैं हंस पड़ता हूं सुनकर बातें अपने खिलाफ भी दरिया-ए-समझदारी में इस हद तक उतर गया हूं मैं जान ली अपनी अहमियत मैंने ज़िन्दगी में तेरी की तेरे लिए बीते वक़्त की तरह गुज़र गया हूं मैं चाहतें अपने परिवार की कुछ यूं पूरी की मैंने अपनी साऱी ख्वाहिशों का क़त्ल कर गया हूं मैं Sanam. #Calming Life