कोणार्क के सूर्य मंदिर मे अंधेरों का बसेरा हैँ पुरी के जगदीशजी अपने ही मंदिर से नदारद हैँ क्न्या कुमारी के देश मे अबलाओ का समूह सिसक रहा हैँ यहां सबकुछ आभासी हैँ औऱ यथार्थ से सचाई का दूर दूर तक कही वास्ता नहीं हैँ आभासी ... यथार्थ