ईश्क़ में जिसकी कहानी नहीं है। वो जवानी भी जवानी नहीं है। मेरा सारा जहाँ है दीवाना एक तू ही तो दीवानी नहीं है। मैं तो शहज़ादा हूँ मोहब्बत का, तू परी कोई आसमानी नहीं है। तुमने चाहा मुझे तुम्हारे लिए, मुझ पे तेरी मेहरबानी नहीं है। बड़े पथरीले ये रास्ते हैं सनम, ईश्क़ की डगर सुहानी नहीं है। सहना पड़ता है बहुत कुछ इसमें, ईश्क़ में अपनी मनमानी नहीं है। साथ चलने का जो वादा हो तेरा मुझको भी कोई परेशानी नहीं है। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #ईश्क़