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कितना दौड़ते हो? कुछ तो मिलता नहीं अब रुको तृष्

कितना दौड़ते हो?  
कुछ तो मिलता नहीं 
अब रुको 
तृष्णा  बेपेंदे की बाल्टी है 
भरो   खड़खड़ाओ   कुवें  से  खूब खींचो 
ये जिंदगी नहीं  ाअनेक  जिंदगी 
 खींचते रहो 
खाली क़ि  खाली रहेगी 
ज़ब भी  बाल्टी  आएगी  खाली हाथ  आएगी 
कुवें  बदल  लो... इस कुवें से उस कुवें. पर जाओ 
उस कुवें से  उस  कुवें  पर जाओ 
यही  हम लोग कर  रहे हैँ 
मगर कुओं का  क्या कुसूर?  
बाल्टी  वही क़ि वही

©Parasram Arora #तृष्णा.......
कितना दौड़ते हो?  
कुछ तो मिलता नहीं 
अब रुको 
तृष्णा  बेपेंदे की बाल्टी है 
भरो   खड़खड़ाओ   कुवें  से  खूब खींचो 
ये जिंदगी नहीं  ाअनेक  जिंदगी 
 खींचते रहो 
खाली क़ि  खाली रहेगी 
ज़ब भी  बाल्टी  आएगी  खाली हाथ  आएगी 
कुवें  बदल  लो... इस कुवें से उस कुवें. पर जाओ 
उस कुवें से  उस  कुवें  पर जाओ 
यही  हम लोग कर  रहे हैँ 
मगर कुओं का  क्या कुसूर?  
बाल्टी  वही क़ि वही

©Parasram Arora #तृष्णा.......