कुछ दिन पहले एक खबर पढ़ी - चार बेटियों को जन्म देने के कारण उस स्त्री को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया ... इस प्रताड़ना की परिणिति उस स्त्री की आत्महत्या के रुप में हुई , जबकि इसमें स्त्री का कोई दोष नहीं गर्भस्थ शिशु का लिंग निर्धारण पुरुष के गुणसूत्र पर निर्भर करता है , सभी जानते हैं फिर दोषी स्त्री ही है .... आखिर क्यों ?????
सच है पुरुष के "अहंकार " (मैं )में
स्त्री का "स्वाभिमान ,अस्तित्व "( मैं)
कहीं खो जाता है ...
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