यह कविता उनको समर्पित जिनकी वजह से आज मैं कुछ लिखना शुरू किया हूं ! &&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&& काश दूसरों का ना सही , अपनों का प्यार पा पाता ! कौन है अपना आज कहना कठिन है ? काश किसी पर तो ऐतबार कर पाता ! न खुद चैन से रहा ना दूसरे को चैन से रहने दिया यह तोहमत गैरो ने नहीं अपनों ने ही लगाया है, प्यार की खातिर सच पूछो यारों लोगों ने बहुत दर्शाया है ! सुकून की तलाश उन्हें ही नहीं है , मुझे भी है काश अपनों को समझा पाता ! अब तो चंद पलों की दूरियां हैं , काश यह बात उनके जेहन तक पहुंचा पाता व्हाट इज लाइव