मेरी आंखें खोजती रहती है तुझे
तू मेरे सामने होकर भी दिखती नहीं है
वैसे तो खोज लू लाखों की भीड़ में तुझे
पर तू जाना भीड़ में कभी रहती नहीं है !
मुद्दतों बाद फ़िर से हुआ है इश्क़ मुझे
वरना मेरी ज़ुबा शायरों जैसी बातें करती नहीं है #शायरी#Allahabad#pryagraj#MizajAllahabadi