कुछ बिखरे पन्नों को समेटने जो चला, पत्र एक, तेरे प्यार का, उसमे दवा मिला, वो भीनी सी खुशबू थी, उस पत्र में तेरे, पंखुड़ी गुलाब की ठिठुरी सी, दबी थीं पत्र में तेरे, यादों का गुलदस्ता एक, आंखो में तैरने लगा, वो कक्षा दस का प्यार, फिर याद आ गया वो बातें वो यादें वो मिलना हमारा याद आने लगा था सारा जमाना छुपके से गलियों से तेरे गुजरना तेरे लिये हर किसी से झगड़ना गालों से तेरा वो लट को हटाना याद आने लगा था तेरा मुस्कुराना यादों की मीठी सी घुट्टी बनाके पीली है मेने शहद में मिला के पत्र में तेरा चेहरा है दिखता, तू नहीं साथ पर तेरा अहसास होता। ©Karan Kumar #hindi_poem #karan_kumar #favourite #Love