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अंजान सा राहें कहाँ भटकतें चलूँ मैं, छोटा सा पैर म

अंजान सा राहें कहाँ भटकतें चलूँ मैं,
छोटा सा पैर मेरा कितना बढूं मैं,
बाजी हर जीत की लगाते चलूँ मैं,
आंखों में डर नहीं बेख़ौफ़ फिरूं मैं, #believe
अंजान सा राहें कहाँ भटकतें चलूँ मैं,
छोटा सा पैर मेरा कितना बढूं मैं,
बाजी हर जीत की लगाते चलूँ मैं,
आंखों में डर नहीं बेख़ौफ़ फिरूं मैं, #believe