नदी के किनारे, पनघट पर बैठकर, करूं मे इश्क़ ए इज़हार, मेरे प्यार का तुमसे। सुहानी संध्या खिली हो, उपर से हल्की बूंदाबांदी चालू हो, उस वक़्त ज़ाहिर करूं में मेरे अल्फ़ाज, जो कब से छुपाए है मैंने मेरे ज़हन में। नदी के शांत जल की धारा, छूए किनारों को धीरे धीरे, उसमे तेरे साथ हमारे पांव को, आधा भिगोकर करनी है तुमसे गुफ़्तगू। इश्क़ है तुमसे तो, इज़हार कुछ इस अंदाज में ही करूँगा, अगर तू कबूल कर ले मेरे इज़हार को, तो तुझे आगोश में लेकर बनाएंगे अपना। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-964 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।